
गुवाहाटी: कोरोना महामारी ने दुनियाभर में तबाही मचाई है. महामारी की वजह से बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं. पत्रकार भी इससे अछूते नहीं रहे हैं. पिछले साल मार्च के बाद से 59 देशों में 600 से अधिक पत्रकारों की मौत कोरोना वायरस की वजह से हो गई है.
प्रेस इम्बलम कंपेन (PEC) स्विट्जरलैंड स्थित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया वाचडॉग है. प्रेस इम्बलम कंपेन (www.pressemblem.ch) की ओर से जारी बयान के मुताबिक, 1 मार्च 2020 से कोविड-19 की वजह से मरने वाले 602 पत्रकारों में से, आधे से अधिक मौतें लैटिन अमेरिका (303) में हुई है. इसके बाद एशिया का नंबर आता है जहां 145 पत्रकारों की मौत कोरोना से हुई. यूरोप (94), उत्तरी अमेरिका (32) और अफ्रीका (28) में भी महामारी की चपेट में बड़ी संख्या में पत्रकार आए.
इससे यह भी पता चलता है कि कई मीडिया वॉरियर्स की मौतों को रोका जा सकता था. यह फोरम उन शोक संतप्त पत्रकारों और उनके परिवारों को वित्तीय सहायता पर जोर देता है, जो कोविड-19 की चपेट में आकर मारे गए. फोरम की यह भी मांग है कि मीडियाकर्मियों को अनुरोध के आधार पर प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किया जाना चाहिए.
पीईसी के महासचिव ब्लाइस लेम्पेन ने कहा कि अपने पेशे की वजह से बड़ी संख्या में पत्रकारों को फील्ड में जाना होता है और उनमें से कुछ, खासतौर से फ्रीलांसर और फोटोग्राफर जो अपने घर से काम नहीं कर सकते, ऐसे में इनमें से कई लोग महामारी की चपेट में आ जाते हैं.
पिछले साल मार्च के बाद से पेरू में सबसे ज्यादा मीडिया से जुड़े लोग महामारी में मारे गए. यहां वायरस की वजह से 93 मीडियाकर्मियों की मृत्यु हो गई. जबकि ब्राजील में 55 और भारत में 53 पत्रकारों ने कोरोना की वजह से जान गंवाई. मैक्सिको में 45 पत्रकारों के अलावा इक्वाडोर (42), बांग्लादेश (41), इटली (37) और संयुक्त राज्य अमेरिका (31) में मीडिया से जुड़े लोग मारे गए.
जबकि पाकिस्तान में 22 पत्रकारों की जान कोरोना की वजह से गई. इसके बाद तुर्की (17), यूनाइटडेड किंगडम (13), पनामा (11) और बोलिविया (9) के अलावा अफगानिस्तान, डोमिनिकन गणराज्य, नाइजीरिया और रूस (8 प्रत्येक), अर्जेंटीना, कोलंबिया और होंडुरास (7), निकारागुआ, स्पेन और वेनेजुएला (6 प्रत्येक), फ्रांस (5), नेपाल, कैमरून, मिस्र, ग्वाटेमाला, ईरान, सल्वाडोर, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे (3), अल्जीरिया, इंडोनेशिया, मोरक्को, पैराग्वे, पुर्तगाल और स्वीडन ( 2) का नंबर आता है.
बड़ी संख्या में ऐसे भी देश हैं जहां कम से कम एक पत्रकार की मौत महामारी की वजह से हुई. कनाडा, जर्मनी, जापान, इजरायल, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, उरुग्वे, ऑस्ट्रिया, अजरबैजान, बुल्गारिया, चिली, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इराक (कुर्दिस्तान), कजाकिस्तान, केन्या, किर्गिस्तान, लेबनान, सऊदी अरब, युगांडा, ताजिकिस्तान और टोगो में कम से कम एक पत्रकार की मौत कोरोना से हुई.
हालांकि पीड़ितों की वास्तविक संख्या निश्चित रूप से अधिक हो सकती है, क्योंकि कई बार पत्रकारों की मौतों का कारण निर्दिष्ट नहीं होता है या उनकी मृत्यु की घोषणा नहीं की जाती है. साथ ही कुछ देशों में, इस संबंध में कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं है.
पीईसी के भारत के योगदानकर्ता नव ठाकुरिया ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने उन पत्रकारों के परिवारों को मदद देने का फैसला लिया है जो कोविड-19 जटिलताओं का शिकार हुए, और पत्रकार कल्याण योजना के तहत वित्तीय सहायता के लिए आवेदन एकत्र करना शुरू किया गया है.