
रायपुर। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधानों के अनुसार सुविधाविहिन प्रायवेट स्कूल जो अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत मानक एवं मापदंडों को पूर्ण नहीं करते ऐसे प्रायवेट विद्यालयों की अनुमति मान्यता नवनीकरण नहीं करने की मांग किया गया है, क्योकि ऐसे स्कूलों की 31 मार्च 2013 के पश्चात् बंद कर दिए जाने का प्रावधान आरटीई कानून में है।
एसोसियेशन के जिला सचिव पनेश त्रिवेदी के बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के स्थायी आदेश दिनांक 23.11.2016 के अनुसार सुविधाविहिन प्रायवेट विद्यालयों की मान्यता नवनीकरण नहीं किया जाना है और इन विद्यालयों में आरटीई के बच्चों को प्रवेश नहीं दिलाया जाना है, लेकिन इसके बावजूद शिक्षा विभाग के द्वारा प्रायवेट विद्यालयों के साथ सांठगांठ कर सुविधाविहिन प्रायवेट विद्यालयों की मान्यता नवनीकरण कर दिया जा रहा है।
त्रिवेदी का कहना है कि हर गली महौल्ले में छोटे-छोटे कमरों में स्कूल संचालित हो रहा है, ना प्रयाप्त कमरे है और ना पर्याप्त प्रशिक्षित शिक्षक है और ना खेल का मैदान फिर भी शिक्षा विभाग से स्कूल संचालित करने की मान्यता एवं अनुमति प्राप्त हो जाता है और बोर्ड से संबंद्धता मिल जाता है।
त्रिवेदी ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चों के जीवन व भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग इन सुविधाविहिन प्रायवेट स्कूलों में झाकने तक नहीं जाते है। जिम्मेदार अधिकारी अपने कार्यालय में बैठे-बैठे अनुमति मान्यता फाईल में हस्ताक्षर कर देते है और अनुमति मान्यता प्राप्त हो जाता है, जबकि नोडल अधिकारियों को स्कूल का स्थल निरीक्षण करना अनिवार्य है और स्कूल द्वारा प्रस्तुत जानकारी का सत्यापन स्थल में जाकर करना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।