भूमकाल के शहीदों की स्मृति में बनाया जाएगा भव्य स्मारक: अनुसुईया उइके
आदिवासियों को तत्कालीन दमनकारी और शोषणकारी सत्ता के खिलाफ संगठित किया और वे अमर हो गए...

रायपुर। शहीद गुंडाधुर आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उन्होंने आदिवासियों को तत्कालीन दमनकारी और शोषणकारी सत्ता के खिलाफ संगठित किया और वे अमर हो गए। उन्होंने समाज में अपनी कार्यों से जागरूकता लाई। अदम्य साहस के प्रतीक शहीद गुंडाधुर समाज को प्रगति की ओर प्रशस्त रहने की प्रेरणा देते रहेंगे। आज से लगभग 111 वर्ष पूर्व बस्तर की इस भूमि पर आदिवासियों ने भूमकाल आंदोलन की हुंकार भरी थी। आज हम इस अवसर पर इस आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह बात राज्यपाल अनुसुईया उइके ने बुधवार को भूमकाल दिवस के अवसर पर जगदलपुर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। राज्यपाल ने भूमकाल के शहीदों की स्मृति में जगदलपुर के हृदय स्थल गोलबाजार में भव्य स्मारक बनाने की घोषणा की। राज्यपाल ने कहा कि इस आंदोलन में कई आदिवासियों एवं ग्रामीणों ने जल, जंगल और जमीन तथा अपने हक और अधिकार के लिए अंग्रेजी हुकुमत एवं दमनकारी सत्ता के खिलाफ जंग छेड़ी। उनका विद्रोह इतना प्रबल था कि उनके खिलाफ ब्रिटिश सरकार ने बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजा जिनका हमारे आदिवासियों ने अपने पारंपरिक हथियारों से साहस के साथ सामना किया। गुंडाधुरजी ने इस आंदोलन ने समाज में एक जागृति पैदा कर दी और कहीं न कहीं इसका असर राष्ट्रीय स्तर पर हुआ। भूमकाल आंदोलन सहित अन्य आंदोलनों के फलस्वरूप हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। राज्यपाल ने कहा कि शासन-प्रशासन के कार्यों से समाज में जागृति आई है और निरंतर प्रगति भी हो रही है। बस्तर क्षेत्र में तेजी से विकास भी हो रहे हैं, कनेक्टिविटी अच्छी हुई है।