
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को पत्र लिखकर मांग की है कि किसी दोषी को फांसी की सजा दिए जाने की प्रक्रिया में डॉक्टरों के उपस्थित रहने की प्रथा को समाप्त किया जाए.
एमसीआई अध्यक्ष को लिखे पत्र में आईएमए के अध्यक्ष के के अग्रवाल ने कहा कि फांसी की सजा दिए जाते समय फिजिशियन की मौजूदगी ‘चिकित्सा नीतियों का उल्लंघन’ है.
ये चिकित्सा नीतियों का उल्लंघन है
अग्रवाल ने पत्र में कहा, ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि फांसी की प्रक्रिया में कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं होना चाहिए. ये चिकित्सा नीतियों का उल्लंघन है.’ किसी दोषी को फांसी दिए जाते समय डाक्टरों की मौजूदगी इसलिए जरूरी होती है कि फांसी दिए जाने के बाद डाक्टर ही उसके महत्वपूर्ण अंगों की जांच कर उसे मृत घोषित करते हैं.
डब्ल्यूएमए ने अपने सदस्यों को क्या दी सलाह
विश्व चिकित्सा संघ (डब्ल्यूएमए) ने अपने सदस्य मेडिकल संघों को सलाह दी है कि सरकारों द्वारा फांसी की सजा दिए जाने की प्रक्रिया में डॉक्टरों के शामिल होने के चलन को बंद किया जाए. डब्ल्यूएमए ने 1981 में ‘फांसी की सजा में फिजिशियन की भागीदारी पर प्रस्ताव’ तैयार किया था और 2008 में इसे संशोधित किया था.अग्रवाल ने कहा कि डब्ल्यूएमए की महासभा ने शिकागो में पिछले साल 14 अक्टूबर को इस संबंध में संशोधित घोषणापत्र को स्वीकार कर लिया.
उन्होंने कहा, ‘डब्ल्यूएमए के सदस्य राष्ट्रीय चिकित्सा संघों को उसकी सभी नीतियां और संकल्प स्वीकार्य हैं’ पत्र में उन्होंने कहा, ‘इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि भारत के डॉक्टरों के लिए दिशानिर्देश के रूप में डब्ल्यूएमए के संकल्प को लागू किया जाए.




