अब एक साथ काम करेंगे देश के सभी आईआईटी, इसरो, डीआरडीओ और बायोसाइंस लैब
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी

नई दिल्ली:कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी की रोकथाम पर भारतीय इंजीनियर, डॉक्टर और वैज्ञानिक मिलकर रिसर्च, वैक्सीन और दवा इजाद करने पर ही काम नहीं करेंगे, बल्कि भविष्य में भारत सैन्य और अंतरिक्ष मामलों में दूसरे देशों से तकनीक और उपकरण खरीदने की बजाय निर्माण पर जोर देगा।

दरअसल आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार ने देश के सभी आईआईटी, इसरो, डीआरडीओ और बायोसाइंस लैब मिलकर रिसर्च और दिक्कतों के समाधान पर एक साथ काम करने की योजना को मंजूरी दी है।
आत्मनिर्भर भारत:
वैश्विक महामारी, सैन्य, अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में रिसर्च और तकनीक पर डॉक्टर, इंजीनियर व वैज्ञानिक मिलकर करेंगे काम वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते भारत पहली बार आत्मनिर्भर भारत बनने की राह की ओर अग्रसर है।
महामारी के दौरान आईआईटी के वैज्ञानिक और इंजीनियर ने मिलकर देश को सस्ती आरटीपीसीआर किट(कोरोना जांच किट), मॉस्क, पीपीई किट आदि बनाकर दी।आईआईटी के इन प्रोडेक्ट की भारत केसाथ अंतरर्राष्ट्रीय मार्केट में भी खासी मांग है। इसी को देखते हुए अब आईआईटी लैब और इसरो, डीआरडीओ और बायोसाइंस लैब से जोडने की योजना तैयार की गई है।
शोध और तकनीक पर मिलकर होगा काम
डॉक्टर, वैज्ञानिक और इंजीनियर अपनी-अपनी लैब में विभिन्न प्रोजेक्ट पर अभी काम करते हैं। हालांकि जब तक प्रोजेक्ट पूरा या सफल नहीं होता है, उसकी जानकारी लैब से बाहर नहीं आ पाती है।पर अब देश और समाज की दिक्कतों के समाधान के विभिन्न प्रोजेक्ट में सब लैब एक-दूसरे से जुड़ी होगी। इसमें कोई भी वैज्ञानिक किसी भी क्षेत्र के रिसर्च और तकनीक के बारे में अपने आइडिया दे सकेगा। इससे भारत रिसर्च और तकनीक के क्षेत्र में मजबूत होगा। उसे दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी।
रोजगार को बढ़ावा तो प्रतिभाओं का पलायन रुकेगा:
आईआईटी, इसरो, डीआरडीओ और बायोसाइंस लैब में काम करने वाले वैज्ञानिक फिलहाल सुविधाओं की कमी और रिसर्च में कोई खास योजना न होने के कारण विदेशों की ओर रूख करते हैं।इससे भारती प्रतिभाएं बाहर चली जाती है। इस योजना से अब इन प्रतिभाओं के पलायन को रोकने में मदद मिलेगी।
देश में ही उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मुहैया होंगे। केंद्रीय बजट में किया गया प्रावधान नई शिक्षा नीति 2020 और केंद्रीय बजट में इसका प्रावधान किया गया है। इसका मकसद देश और समाज को भविष्य की दिक्कतों से बचाने के लिए रिसर्च पर विशेष योजनाएं तैयार की ई है। इसके लिए सरकार विशेष फंड भी देगी।