
आज बात करते हैं प्रकृति के अनुपम उपहार जायफल की। इसे हम मसाले में तो प्रयोग करते हैं, लेकिन इसके और क्या-क्या औषधीय गुण हैं, इनको भी जानना जरूरी है। मिरिस्टिका नामक वृक्ष से जायफल तथा जावित्री प्राप्त होती है।
मिरिस्टिका प्रजाति की लगभग 80 जातियां हैं, जो भारत, आस्ट्रेलिया तथा प्रशांत महासागर के द्वीपों पर उपलब्ध हैं। मिरिस्टिका वृक्ष के बीज को जायफल कहते हैं। इस वृक्ष का फल छोटी नाशपाती के रूप का एक इंच से डेढ़ इंच तक लंबा, हल्के लाल या पीले रंग का गूदेदार होता है।
पकने पर फल दो खंडों में फट जाता है और भीतर सिंदूरी रंग की जावित्री दिखाई देने लगती है। जावित्री के भीतर गुठली होती है, जिसके कड़े खोल को तोड़ने पर भीतर से जायफल प्राप्त होता है।
इसकी जरा सी मात्रा ही डिश का स्वाद बदलने के लिए काफी है। लेकिन इस मसाले का इस्तेमाल सिर्फ खाने तक ही सीमित नहीं बल्कि इससे सेहत संबंधी कई परेशानियां भी दूर की जा सकती हैं। तो आज हम जायफल और इसके तेल से होने वाले कुछ फायदों के बारे में जानेंगे।
स्ट्रेस और दर्द कम करने में करारगर
जायफल का तेल स्ट्रेस दूर करने में तो कारगर होता ही है इसके साथ ही लो ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम भी दूर होती है। कई जगहों पर इसका इस्तेमाल सूजन और मसल पेन को दूर करने के लिए किया जाता है।
सुधारे ब्लड सर्कुलेशन
जायफल के तेल में अलग तरह की खुशबू होती है जिसका इस्तेमाल खराब ब्लड सर्कुलेशन से जूझ रहे लोगों के इलाज में किया जाता है। वैसे जायफल के तेल का किसी भी रूप में इस्तेमाल करने से बॉडी में ऑक्सीजन की बेहतरीन तरीके से सप्लाई होती है।
दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये और उसके चार हिस्से कर लीजिये। एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये। सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं।
प्रसव बाद कमर दर्द में फायदा
प्रसव के बाद अगर कमर दर्द खत्म नहीं हो रहा है तो जायफल पानी में घिसकर कमर पर सुबह-शाम लगाएं, एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा।
मुंह के छालों को करे ठीक
जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।
दांत दर्द को करे तुरंत ठीक
दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।