अशुभ ग्रहों की शीघ्र शांति एवं अनुकूलता( शुभता) हेतु सबसे अच्छा उपाय होता है:-
आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) छतरपुर मध्यप्रदेश, किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए सम्पर्क कर सकते हो, सम्पर्क सूत्र:- 9131366453

उनकें मंत्रों का अनुष्ठान ,जिसमें उनके बीज , वैदिक या तांत्रिक मंत्रों का जप एवं हवन की प्रक्रिया शामिल होती है एवं सभी 9 ग्रहों के हवन के लिए अलग – अलग लकड़ी का प्रयोग होता है तो आइएं आज जानते है सभी ग्रहों के प्रचलित मंत्र एवं अनुष्ठान की पूरी प्रक्रिया-
1. सूर्य ग्रह – ॐ घृणि सूर्याय नमः , मदार की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्या – 7000 एवं दशांश हवन ।
2. चन्द्र ग्रह – ॐ सों सोमाय नमः , पलाश की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्या – 11000 एवं दशांश हवन ।
3. मंगल ग्रह – ॐ अं अंगारकाय नमः , खैर की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्या – 10000 एवं दशांश हवन ।
4. बुध ग्रह – ॐ बुं बुधाय नमः , अपामार्ग की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्य – 9000 एवं दशांश हवन ।
5. बृहस्पति – ॐ बृं बृहस्पतएं नमः , पीपल की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्या – 19000 एवं दशांश हवन।
6. शुक्र ग्रह – ॐ शुं शुक्राय नमः , गूलर की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्या – 16000 एवं दशांश हवन ।
7. शनि ग्रह – ॐ शं शनैश्चराएं नमः , शमी की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्या – 23000 एवं दशांश हवन ।
8. राहु ग्रह – ॐ रां राहवे नमः , दूर्वा (दूब) की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्या – 18000 एवं दशांश हवन ।
9. केतु ग्रह – ॐ कें केतवे नमः , कुश की लकड़ी से हवन , मंत्र अनुष्ठान जप संख्या – 17000 एवं दशांश हवन ।
यदि संक्षिप्त में सभी ग्रहों के जप एवं हवन स्वयं करना चाहते है तो मंत्र की शुद्धता का विशेष ध्यान रखते हुए पूरी प्रक्रिया क्रमश :
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