चर्चित तत्कालीन रेंजर एवं वर्तमान कटघोरा वन एसडीओ प्रहलाद यादव के आगे वन मंत्रालय भी नतमस्तक
भ्रष्ट्र कार्य की जांच प्रतिवेदन सौंपे जाने के बाद भी नहीं हुई कार्यवाही

कोरबा/कटघोरा:- अपने भ्रष्ट्र आचरण वाले कार्यों से कटघोरा वनमंडल में चर्चित रहने वाले तत्कालीन रेंजर तथा वर्तमान वन एसडीओ प्रहलाद यादव के सामने वन मंत्रालय छत्तीसगढ़ भी नतमस्तक नजर आ रहा है तभी तो उनके भ्रष्ट्राचारपूर्ण कार्यों की जाँच कराकर डीएफओ द्वारा जांच प्रतिवेदन मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर वृत एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक रायपुर के साथ- साथ मयदस्तावेज वन मंत्रालय को सौंपे जाने के बाद भी दोषी के खिलाफ आज पर्यन्त समय तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही देखने या सुनने को नही मिली।

यहाँ पर यह बताना लाजिमी ना होगा कि कटघोरा वनमंडल के उपवनमण्डल में पदस्थ एसडीओ प्रहलाद यादव ने तत्कालीन रेंजर रहने के दौरान जमकर भ्रष्ट्राचार को अंजाम देते हुए दोनों हाथों से धन बटोरने का काम किया जहाँ केंदई एवं पाली रेंज में रहते हुए उनके भ्रष्ट्राचार की फेहरिस्त में चेकडेम, स्टापडेम, पुल- पुलिया, सीसी रोड, बाउंड्रीवाल, पहुँचमार्ग, तालाब- डबरी निर्माण, पौधारोपण जैसे कार्यों में अधिकतर कार्य की राशि को बिना काम कराए डकार गए तथा जो कार्य कराए भी गए उन्हें धरातल पर अधूरा तथा कागजों में पूरा बताकर आज धनकुबेर बन गए है।
पाली रेंज में तत्कालीन रेंजर पदस्थ रहने के दौरान प्रहलाद यादव द्वारा बतरा सर्किल अंतर्गत वनांचल ग्राम कोडार के आश्रित दुमदुमी गांव से कुछ दूर कक्ष क्रमांक- 109, बेसराबहार नाला पर गत वर्ष 2020 में एक तालाब निर्माण के कार्य मे व्यापक तौर पर भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया गया जिसके फलस्वरूप उक्त तालाब 3 माह में ही टूटकर बह गया था जिसकी शिकायत लगभग डेढ़ माह पूर्व वनमंडलाधिकारी कटघोरा श्रीमती शमा फारुखी से होने पश्चात जांच में तालाब का निर्माण आधा अधूरा कराना पाया गया जिसमें मिट्टी का काम नही कराए जाने के साथ बोल्डर पिचिंग व निकासी नाली में कांक्रीट का काम नही किया जाना पाया गया था।तत्कालीन रेंजर श्री यादव ने इस प्रकार तालाब का आधा- अधूरा कार्य कराकर फर्जी प्रमाणक के सहारे धनादेश भी प्राप्त कर लिया था।
जांच में रेंजर के साथ वनक्षेत्रपाल एवं वनरक्षक को भी जिम्मेदार पाया गया था और जांच के आधार पर वनमंडलाधिकारी श्रीमती फारुखी द्वारा कार्यवाही किये जाने की सिफारिश के साथ प्रतिवेदन सीसीएफ, पीसीसीएफ तथा वन मंत्रालय को भेज दी गई थी।लेकिन संबंधित उच्चाधिकारी मामले में कार्यवाही करने के बजाए अपने अधीनस्थ भ्रष्ट्र तत्कालीन रेंजर प्रहलाद यादव को प्रश्रय दे रहे है।लगता है श्री यादव के अप्रत्यक्ष पहुँच के सामने इनके आला अफसर सहित वन मंत्रालय छत्तीसगढ़ भी घुटने टेकें नतमस्तक होकर बौने साबित हो रहे है।जिसे लेकर अनेकों सवाल उठने लगे है।