इस विश्वविद्यालय में होगी ‘रामचरितमानस और रामायण में विज्ञान’ की पढ़ाई
पढ़ाया जाएगा कैसे समुद्र में तैरे राम नाम के पत्थर

भोपाल: मध्यप्रदेश के विक्रम विश्वविद्यालय में एक नए तरह के पाठ्यक्रम की शुरूआत की गई है। बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय में अब ‘रामचरितमानस और रामायण में विज्ञान’ की पढ़ाई होगी। इस संबंध में विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश पांडे ने जानकारी दी है। संभवत: देश में यह पहला ऐसा पाठ्यक्रम होगा, जिसमें धर्म का विज्ञान पढ़ाया जाएगा।
कुलपति अखिलेश पांडे ने जानकारी देते हुए कहा कि हमारी युवा पीढ़ी समझती है कि वे सबकुछ विदेशों से सीख रही है। इसी को ध्यान में रखकर हमने रामचरितमानस और रामायण में विज्ञान को लेकर हमने कोर्स शुरु किया है। इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को वैज्ञानिक परंपरा से परिचित कराना है।
बताया गया कि इस पाठ्यक्रम को फिलहाल 20 सीटों पर शुरू किया गया है। वहीं पाठ्यक्रम में प्रवेश के इच्छुक विद्यार्थी एमपी ऑनलाइन के जरिए 28 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य सनातन संस्कृति के विज्ञान के गुढ़ रहस्यों को अध्ययन के माध्यम से सबसे सामने रखना है। श्रीरामचरित मानस से जुड़े भौतिक, रसायन, जीव, पर्यावरण के साथ औषधीय विज्ञान से विद्यार्थियों को रूबरू होंगे।