
नई दिल्ली: देश में कोरोनावायरस महामारी के कारण भारतीय न्याय व्यवस्था के दरवाजे बंद होने के बाद व्यवसाय के तौर पर अधिवक्ता भी इस बेरोजगारी के आलम से बच नहीं पाए |
फिलहाल जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में असक्षम महसूस कर रहे हैं | भारत के सामाजिक व्यवस्था में वकालत करने के बाद वकील के व्यवसाय को एक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है|
दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉ अनिल कुमार मीणा ने कहा है कि केंद्र सरकार पूरी तरह से कोरोनावायरस के सामने घुटने टेक चुकी है| जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए देश के लोगों ने जो खुलकर दान किया था उसका इस्तेमाल सरकार राज्य की सरकार को गिराने, विधायकों के खरीद-फरोख्त के लिए इस्तेमाल कर रही है|
फिलहाल देश बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है | बेरोजगारी के कारण समाज का हर वर्ग परेशान है| लोगों के पास दो वक्त की रोटी जुटा पाना चुनौती बन गया है| ऐसे में कुछ मनोवैज्ञानिक दृष्टि से परेशान लोग आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए|
दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के साथ प्रकोष्ठ के सदस्य अधिवक्ता इरशाद सिद्दीकी ने बताया कि अधिवक्ता अपनी आजीविका के लिए दैनिक आय पर निर्भर हैं। बीसीआई, स्टेट बार काउंसिल और बार एसोसिएशनों को अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे अधिवक्ताओं के अस्तित्व के लिए सबसे आगे आना चाहिए और जरूरतमंद अधिवक्ताओं को तत्काल मौद्रिक राहत की मांग की जानी चाहिए|
सरकार इसी तरह लोगों की समस्याओं को नजरअंदाज करती रहेगी आने वाले समय में बढ़ते हुए अपराध के मामले एवं बेरोजगारी के कारण हो रही आत्महत्याओं के आंकड़ों के बढ़ने की संभावना है |