अमेरिका ने आतंकी संगठन तालिबान को शांति समझौते का पालन करने को कहा
अमेरिकी सैनिकों पर हमला नहीं करने की भी नसीहत दी

वाशिंगटन: अमेरिका और तालिबान के बीच कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौते पर दस्तखत हुआ। इस समझौते के अनुसार अगर तालिबान हिंसा में कमी लाता है तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश अफगानिस्तान से 14 महीने में 12 हजार सैनिकों को वापस बुला लेंगे।
फिलहाल अफगानिस्तान में अमेरिका के 14 हजार सैनिक हैं। हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार, समझौते के बाद एक चौथाई अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाया गया है। वहीँ अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने आतंकी संगठन तालिबान को शांति समझौते का पालन करने को कहा है। साथ ही अमेरिकी सैनिकों पर हमला नहीं करने की भी नसीहत दी है।
विदेश विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस ने कहा, ‘सोमवार को तालिबान नेता मुल्ला बरादर के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान विदेश मंत्री ने अपनी अपेक्षाएं स्पष्ट कर दी हैं। इसमें ना केवल तालिबान को समझौते का पालन करना होगा बल्कि अमेरिकी सैनिकों पर किए जा रहे हमलों को भी रोकना होगा।’
समझौते के तहत तालिबान को अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए खतरा बनने वाले अलकायदा समेत अन्य आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर भी विराम लगाना होगा। इसमें लड़ाकों की भर्ती से लेकर आतंकी गतिविधियों के लिए धन एकत्र करना भी शामिल है।
पोंपियो और तालिबान नेता के बीच बातचीत उन मीडिया रिपोर्टो के बाद हुई, जिसमें कहा जा रहा है कि रूस ने अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सैनिकों की हत्या के लिए तालिबान आतंकियों को इनाम देने की पेशकश की थी।
समझौते पर कई अमेरिकी सांसदों ने जताई चिंता
अफगानिस्तान पर अमेरिकी संसद की एक रिसर्च कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक समझौते में कई ऐसे बिंदु हैं, जिन पर कई सांसदों ने चिंता जताई है। जैसे अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी स्थिति को देखते हुए की जाएगी। हालांकि समझौते में यह कहीं नहीं बताया गया है कि वह स्थितियां कौन सी होंगी।
दरअसल, अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए विशेष अमेरिकी प्रतिनिधि जालमय खलीलजाद 28 जून को कतर, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा के लिए रवाना हुए थे। कोरोना महामारी को देखते हुए वह काबुल तो नहीं जाएंगे, लेकिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से वहां के नेताओं से बात करेंगे।