मिल गया चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा
7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करते हुए तय समय से थोड़ी देर पहले विक्रम का संपर्क टूट गया था.

नई दिल्ली: अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे उसके उपग्रह ने भारत के चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का मलबा खोज लिया है.
7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करते हुए तय समय से थोड़ी देर पहले विक्रम का संपर्क टूट गया था.
नासा ने अपने उपग्रह से ली गई तस्वीरें पोस्ट की हैं जिनमें दिखता है कि विक्रम किस जगह गिरा और कैसे उसका मलबा वहाँ बिखरा हुआ है.
नासा ने उस जगह की पहले और बाद में ली गई तस्वीरें भी पोस्ट की हैं जिनसे समझ आता है कि चंद्रमा पर वो जगह कैसे बदली दिख रही है जहाँ विक्रम गिरा था.
The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuh pic.twitter.com/jaW5a63sAf
— NASA (@NASA) December 2, 2019
इससे पहले, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख के सिवन ने 9 सितंबर को कहा था कि इसरो को चांद पर विक्रम लैंडर से जुड़ी तस्वीरें मिली हैं.
47 दिनों की यात्रा के बाद 7 सितंबर को जब चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर दूर था तब इसरो से उसका संपर्क टूट गया था.
इसरो प्रमुख ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “ऑर्बिटर से मिली तस्वीर से लगता है कि विक्रम लैंडर की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई है. चांद का चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल इमेज ली है.
क्या है हार्ड लैंडिंग?
चांद पर किसी स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग दो तरीके से होती है- सॉफ्ट लैंडिंग और हार्ड लैंडिंग. जब स्पेसक्राफ्ट की गति को धीरे-धीरे कम करके चांद की सतह पर उतारा जाता है तो उसे सॉफ्ट लैंडिंग कहते हैं जबकि हार्ड लैंडिंग में स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर क्रैश करता है.
सॉफ्ट लैन्डिंग का मतलब होता है कि आप किसी भी सैटलाइट को किसी लैंडर से सुरक्षित उतारें और वो अपना काम सुचारू रूप से कर सके.
अगर सब कुछ ठीक रहता और विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग होती तो भारत दुनिया का पहला देश बन जाता जिसका अंतरिक्षयान चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव के क़रीब उतरता.
अब तक अमरीका, रूस और चीन को ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग में सफलता मिली है. हालांकि ये तीन देश अब तक दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतरे हैं.
चंद्रयान-2 को इस मिशन पर भेजने में 11 साल लगे. विक्रम लैंडर मुख्य रूप से चांद की सतह पर वहां के चट्टानों का विश्लेषण करने वाला था.
विक्रम लैंडर से निकलकर प्रज्ञान रोवर की मदद से चांद की सतह पर पानी की खोज करना इसरो का मुख्य लक्ष्य था.